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"काफ़ी बातों में एक कप कॉफी।"

"काफ़ी बातों में एक कप कॉफी।" "एक डर सा है कुछ ज़्यादा सुलझने में, एक डर सा है तुम्हारी बातों में उलझने में, जो अक्सर बतियाती हैं,  उसके होने की बातें,  जो तुम्हारा था कभी  और है नहीं,  पर फिर भी ना होकर भी वह तुम्हारा कोई अपना ही है! .. ज़िक्र आज शायद उसका है भी  और नहीं भी, यह वक़्त उसका ना होकर भी है यहीं, और मेरा चाह कर भी है नहीं। .. बस यहीं डर सा है,  कुछ ज़्यादा सुलझने में, एक डर सा है तुम्हारी बातों में उलझने में। जिनमें उलझ कर मैं तुझ में कहीं खो जाता हूं,  पर शायद तुम्हारे खयालों में नहीं!" .. "एक डर सा है कुछ ज़्यादा सुलझने में,  एक डर सा है खामोशी के साथ चलने में, जो अक्सर बतियाती है उसकी खामोशी में भी याद आती है, जैसे वो भी हो मेरा ही कोई अपना। .. ज़िक्र उसका है ज़रूर,  पर वक़्त हमारा है कभी नही  याद उसकी है मेरी ज़रूर, बंदिशों में उलझी ज़िन्दगी तेरी नहीं। .. बस यहीं डर है कुछ ज़्यादा उलझने में,  एक डर सा है खामोशी के साथ चलने में,  जिन्हे पहचान कर मैं रुक तो जाती हूं,  पर तुम्हें सुनाने की हिम्मत नहीं जो...

"नादान परिंदे।"

~~"नादान परिंदे।"~~ कुछ इल्म की बात करते हैं,  एक इंद्रजाल की बुनाई करते हैं। दूर इस शहर की दौड़ धूप से,  कुछ लोगों की बात करते हैं। .. जिनसे ना मेरा कोई नाता है, और शायद न ही तुम्हारा। पर वे जितने तुम्हें अपने से लगते हैं,  शायद उसे ज़्यादा नहीं तो कुछ कम भी नहीं, वे मेरे भी उतने ही अपने हैं! .. जिनके होने का एहसास तुम्हें भी है, और शायद मुझे भी है, एक चिट्ठी आई है,  उन अपनों के गाँव से। .. आओ, तुम्हें सुनाता हूं-: .. ~~ वैसे तो कोई खास बात नहीं है, बस यूं ही यह चिट्ठी लिख रहा हूं, महामारी के चलते इस दौर में,  इंसानों के बीच किसी अपने को ढूंढ रहा हूं। .. चला गया था कुछ दूर मुझसे , यह बात कुछ साल पुरानी है। शहर की इस दौड़ धूप के बीच   मैंने भी अपनी एक शाखा गंवाई है। .. अब खोज रहा हूं, इस शहर की भीड़ में  अपने से अलग हुई शाखा को।  सींचा है जिसे बचपन में  , अपने लहु और पसीने से,  अब उसी शाखा की  अपने कर्त्तव्य को पूरा करने की रात आई है। .. क्यों जनाब, यह इतनी भी क्या रुसवाई है...

मौसीक़ी-Mausiqui

सीना तान, शब्दों पर पूर्णविराम लगा मैं उस की ओर चल दिया था। पिछले कुछ दिनों की तरह आज भी एक फरियाद लिए मैं बस चल दिया था। यूँ तो राबता सुनना, मेरे मूह से उसे भी पसंद नहीं था, पर ह...

बस यूँ ही किसी शून्य में खो जाना है ।

"बस यूँ ही किसी शून्य में खो जाना है ।" इस अनंत सागर में , जहाँ तुम देखती हो , तो मैं पलकें झुका लेता हूँ , और जब मैं देखता हूँ , तो अनंत सागर मुझ में कहीं समा जाता है ! . . सुना है कुछ खोखल...

बस पानी की तरह बहना ही तो है।

"बस पानी की तरह बहना ही तो है।" . . समय का चक्रव्यूह तो देखो, कभी इनसे दरियादिली तो सीखो, जो सव्यं कभी परवचन देते थे, मानों भीतर से खोखले हो गए हैं सब। . . क्या कहना इस अकेलेपन के बारे में? माना भीड़ का भाग हो तुम, पर इसी भीड़ में कहीं खो से गए हो तुम। इस बंजर बस्ती की प्रज्वाला से मानों, 'संस्कार' कहीँ लुप्त हो गए हो तुम! . . लिखते हैं आज साधू राम, तुम्हारी हस्ती कितनी हसीन है! खामोशियों की इस लड़ाई में, मानो भुजाएँ सब सिमटी हुई है। . . लिखते हैं आज, गौर से सोचना ज़रा, . . कौन तेरे कौन मेरे? फितरत में ही खोट सुनहरे, दो घूट मन के अंदर, चार अलफ़ाज़ मन के बाहर, कह रहे थे बस पानी की तरह बहना ही तो है! . . समय का चक्रव्यूह तो देखो, अब न इनसे कोई दरियादिली सीखे, जो सव्यं कभी परवचन देते थे, मानों भीतर से खोखले हो गए हैं सब। . बस पानी की तरह बहना ही तो है, किसी किश्ती को सहारा ही तो देना है! मेरी नहीं तो क्या हुआ, किसी और की सही! खोखले हो तो क्या हुआ? खोट तो हम में भी हैं! . मन में कहीँं प्यार नहीं तो क्या हुआ? कम से कम तकरार के रूप में ह...

I need more land!- Hindi Trials

From the Platter : "Do pal soch ke toh Dekho!" दो गज ज़मीन के मालिक थे,एक बहुत पुरानी कहानी हैं ! बरसते नीलम और पवन का झौंका, फिर तोड़ गया इस खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी है ! देखो तुम भी ध्यान से, इस ज़मीन का बूढ़ा माली फिर सौ रहा है चैन से, सींचा है जिन्हें अपने लहु से: आए हैं  वही  लोग उसी माली के जनाज़े पर । यह मेरा,यह तेरा फितरत में ही खोट सुन्हरा काले अक्शर मन के अंदर, मानों जैसे सोच अविरल । दो तुकड़े कर बैठे हँसते हैं वहीं लोग जनाज़े पर  मानों जैसे रिशते झूटे बिकता है यहाँ तुकड़ा अविकल । नाजायज़ हैं यह लोग सारे मरते क्यों नहीं यह लोग सारे ? पैसा है जड़ मेरी ज़मीन है खुशियाँ मेरी अहम है सवाभिमान मेरा ईर्ष्या है,अस्त्र तेरा ! कहते है लोग सारे, जलूस मेरा नाचे सारे! आते हैं जनाजे़ पर मेरे हँसते हैं दुखों पर मेरे! जलता है सीना मेरा डरता है असिस्तत्व मेरा छिपता है काफिला सारा डरता है आँगन मेरा । चाहिए तुझे दो गज मेरे, मिट जाएगी यह मिट्टी मेरी धरती है यह सारी तेरी क्यों फिर बेच चला यह आँगन मेरा । " दो गज ज़मीन मेरी : चीख रहा है...

My Travel Story- एक रंगीन काफिला

"Hindi Trials" बाँध अपने बस्ते को मैं, चल पड़ा एक अनजान राह । कुरेदने उन इतिहास के पन्नों को, जहाँ गया न अभी तक कोई इनसान। मरने को तत्पर थे ख्याल, भरनी अभी थी ख्वाबों की उड़ान- मिलने को बाकी थी वो पलकें उन गालों से : सिमटी थी जिन गालों पर आँसुओं की धार । कहने को दूर हुआ था मैं भी छोड़ अपने सपनों की छाप दूर हुए थे मुझसे कुछ अपने आओ सुनाता हूँ एक तुम्हारे पते की बात । कहने को तो सब साथ है फिर क्यों पुछता तू यह सवाल है! "भाई एक लड़की का नंबर तो दिला?" "मान जाएगी क्या वो इस बार?" कहीं दूर इस सवाल से परे उठे मेरे मन में विचार : चल पड़ा मैं उस शहर से दूर जहाँ उठे थे तेरे होने पर सवाल । मिली थी आज वो "पलकें" इन गालों से जो ताकती थी कभी यह राह , पहेली तो छिपी थी उन नीली आँखों में, बसती थी जिन आँखों में मेरी राह ! नाम में रखा है क्या साहिब, अक्सर पूछती थी मेरी किताब । नाम में रखा है क्या साहिब, अक्सर पूछती थी मेरी किताब, एक मुसकुराहट देकर कहने लगी छीड़ी थी जो यह अलफाज़ों की आग नाम ही तो "नया" है पूराने तो थ...

Wordsmith's Match

Wordsmith’s Match “ Hum Toh Sirf aashiq thee, naa Jaane kB yeh aashiqee: fitoor Mein Badal gyee!” Dearest نور‎‎ , Once again, I have started the thing you hate. Once again, I broke the vow. Sorry نور,‎‎ but it seems as if the fact of pretending who I ain’t have started to wither. The whole “ Deceptive ” thing struck back. I don’t know why but often I miss you. I miss your company. I don’t know for how long the whole “I need a break” thing will last but gradually the thoughts have started to take a toll. At times, I sit down alone staring at the moon and portray you in the creamy mass but what will I do at the night of no moon? The thoughts of not finding you beside me on that day; surely gonna kill me and it seems the process has initiated. My life has come to a stage, where ever and whenever I see you نور‎‎ with someone else, there’s a sudden rush of adrenaline that goes through my vein. What do you think, I haven’t seen you with the other guy, a few days ago? Though I...