एक दिखावे की दुनिया बस्ती है,
इन चार दीवारों के बाहर।
जो हम सबने देखी है!
कुछ कहते हैं एक और दुनिया बस्ती है,
इन चार दीवारों के भीतर।
जिनकी खुशियों के लिए हम सब जीते हैं।
...
और एक ऐसी दुनिया भी है, जो सिर्फ इन आंखों के भीतर
अपना बसेरा बनाए बैठी है।
इस दुनिया में न कोई अच्छा है
और न ही कोई बूरा।
यहां सब मुझसे है और सभी का मैं हूं।
कुछ ख्वाहिशों के महल है, और कुछ आंसुओं की नदियां।
इन सब से कुछ कोस दूर,
इन्द्रधनुष के उस पार बस्ती है,
मेरी छोटी सी एक खुशियों की कुटिया।
...
न जाने कब और कैसे?
इस छोटी सी कुटिया में
मेरे छोटी सी खुशियों की
एक विशाल पोटली
कहीं लुप्त हो गई।
मानों जैसे मेरे मरने से पहले ही
मेरे सपनों की अस्थियां भी
साथ ही कहीं दफ़न हो गई!
...
अब क्या कर सकते है जनाब?
यहीं तो एक ऐसी दुनिया थी,
जहां सब मुझसे है और सभी का मैं हूं।
इन आंखों के बाहर तो,
इस दुनिया में,
बस सबकी खुशियां ही तो है।
और उन्हीं का शायद मैं "भी" हूं।
...
मेरे मन की इस बात से अनजान,
कुछ लोग,
अक्सर यह सवाल मुझसे करते हैं-:
"तुम्हारे सपने बहुत बड़े हैं,
क्या कभी इन्हें पूरा कर पाओगे?" तो आज सुनिए हुज़ूर,
कभी इन आंखों की गहराइयों में
डूब कर तो देखिए,
कुछ ख्वाहिशों के महल,
और कुछ आंसुओं की नदियां पार कर के तो देखिए।
फिर भी अगर कोई उत्तर की तलाश में हो,
तो इन्द्रधनुष के उस पार,
एक वैरागी अपनी कुटिया में
आपका इंतज़ार कर रहा है!
इन चार दीवारों के बाहर।
जो हम सबने देखी है!
कुछ कहते हैं एक और दुनिया बस्ती है,
इन चार दीवारों के भीतर।
जिनकी खुशियों के लिए हम सब जीते हैं।
...
और एक ऐसी दुनिया भी है, जो सिर्फ इन आंखों के भीतर
अपना बसेरा बनाए बैठी है।
इस दुनिया में न कोई अच्छा है
और न ही कोई बूरा।
यहां सब मुझसे है और सभी का मैं हूं।
कुछ ख्वाहिशों के महल है, और कुछ आंसुओं की नदियां।
इन सब से कुछ कोस दूर,
इन्द्रधनुष के उस पार बस्ती है,
मेरी छोटी सी एक खुशियों की कुटिया।
...
न जाने कब और कैसे?
इस छोटी सी कुटिया में
मेरे छोटी सी खुशियों की
एक विशाल पोटली
कहीं लुप्त हो गई।
मानों जैसे मेरे मरने से पहले ही
मेरे सपनों की अस्थियां भी
साथ ही कहीं दफ़न हो गई!
...
अब क्या कर सकते है जनाब?
यहीं तो एक ऐसी दुनिया थी,
जहां सब मुझसे है और सभी का मैं हूं।
इन आंखों के बाहर तो,
इस दुनिया में,
बस सबकी खुशियां ही तो है।
और उन्हीं का शायद मैं "भी" हूं।
...
मेरे मन की इस बात से अनजान,
कुछ लोग,
अक्सर यह सवाल मुझसे करते हैं-:
"तुम्हारे सपने बहुत बड़े हैं,
क्या कभी इन्हें पूरा कर पाओगे?" तो आज सुनिए हुज़ूर,
कभी इन आंखों की गहराइयों में
डूब कर तो देखिए,
कुछ ख्वाहिशों के महल,
और कुछ आंसुओं की नदियां पार कर के तो देखिए।
फिर भी अगर कोई उत्तर की तलाश में हो,
तो इन्द्रधनुष के उस पार,
एक वैरागी अपनी कुटिया में
आपका इंतज़ार कर रहा है!
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