"बस पानी की तरह बहना ही तो है।" . . समय का चक्रव्यूह तो देखो, कभी इनसे दरियादिली तो सीखो, जो सव्यं कभी परवचन देते थे, मानों भीतर से खोखले हो गए हैं सब। . . क्या कहना इस अकेलेपन के बारे में? माना भीड़ का भाग हो तुम, पर इसी भीड़ में कहीं खो से गए हो तुम। इस बंजर बस्ती की प्रज्वाला से मानों, 'संस्कार' कहीँ लुप्त हो गए हो तुम! . . लिखते हैं आज साधू राम, तुम्हारी हस्ती कितनी हसीन है! खामोशियों की इस लड़ाई में, मानो भुजाएँ सब सिमटी हुई है। . . लिखते हैं आज, गौर से सोचना ज़रा, . . कौन तेरे कौन मेरे? फितरत में ही खोट सुनहरे, दो घूट मन के अंदर, चार अलफ़ाज़ मन के बाहर, कह रहे थे बस पानी की तरह बहना ही तो है! . . समय का चक्रव्यूह तो देखो, अब न इनसे कोई दरियादिली सीखे, जो सव्यं कभी परवचन देते थे, मानों भीतर से खोखले हो गए हैं सब। . बस पानी की तरह बहना ही तो है, किसी किश्ती को सहारा ही तो देना है! मेरी नहीं तो क्या हुआ, किसी और की सही! खोखले हो तो क्या हुआ? खोट तो हम में भी हैं! . मन में कहीँं प्यार नहीं तो क्या हुआ? कम से कम तकरार के रूप में ह...
Every person that i met in my life actually taught me something. Some left a mark of love and happiness others just bitterness and rivalry (in general)..happy i am to meet these souls coz they shaped me into what i am today so a friend for me is both good and evil ...and i will call everyone a friend who teaches me a lesson be it the hard or the soft way around.. so in all a friend for me is everyone and i would love to be a friend to them or even more just as they desire any time :)
ReplyDeleteThis is something worth a thousand thoughts❤
ReplyDeletethanks!
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